'राम' यह शब्द दिखने में जितना सुंदर है उससे कहीं महत्वपूर्ण
है इसका उच्चारण। राम कहने मात्र से शरीर और मन में अलग
ही तरह की प्रतिक्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है।
शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म आज से
7122 वर्ष पूर्व अर्थात 5114 ईस्वी पूर्व हुआ था। अन्य
विशेषज्ञों अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 9,000 वर्ष
(7323 ईसा पूर्व) हुआ था। चैत्र मास
क ी नवमी को रामनवमीके रूप में मनाया जाता है।
भगवान राम ने 14 वर्ष वन में रहकर भारतभर मेंभ्रमण कर
भारतीय आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच
सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया। यही कारण
रहा की भगवान राम का जब रावण से युद्ध हुआ
तो सभी तरहकी अनार्य जातियों ने भगवान राम का साथ दिया।
यह वह काल था जबकि लोगों में किसी भी प्रकार
की जातिवादी सोच नहीं थी। लोग सिर्फ दो तरह की सोच में
ही बँटे थे- यक्ष और रक्ष जिसे सूरऔर असुर या देव और
दानव कहा जाता था।
वनवास के दौरान लक्ष्मण ने रावण की बहिन सूर्पणखा की नाक
काट दी थी। सीता स्वयंवर मेंअपनी हार और
सूरपर्णखा की नाक काटने का बदला लेने के लिए रावण ने
सीता का हरण कर लिया। वनवास के दौरान ही राम को सीता से
दो पुत्र प्राप्त हुए- लव और कुश। एक शोधानुसार लव और
कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत युद्ध में
कोरवों की ओर से लड़े थे।
राम ने सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए संपाति,
हनुमान, सुग्रीव, विभिषण, मैन्द, द्विविद, जाम्बवंत, नल, नील,
तार, अंगद, धूम्र, सुषेण, केसरी, गज, पनस, विनत, रम्भ, शरभ,
महाबलीकम्पन (गवाक्ष), दधिमुख, गवय और गन्धमादन
आदि की सहायता से सेतु बनाया और लंका पर चढ़ाई कर दी।
लंका में घोर युद्ध हुआ और पराक्रमी रावणका वध हो गया। तब
पुष्पक विमान द्वारा रावण सीता सहित पुन: अयोध्या आ गए।
।। जय श्री राम ।
Peersingh Rajpurohit
है इसका उच्चारण। राम कहने मात्र से शरीर और मन में अलग
ही तरह की प्रतिक्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है।
शोधानुसार पता चलता है कि भगवान राम का जन्म आज से
7122 वर्ष पूर्व अर्थात 5114 ईस्वी पूर्व हुआ था। अन्य
विशेषज्ञों अनुसार राम का जन्म आज से लगभग 9,000 वर्ष
(7323 ईसा पूर्व) हुआ था। चैत्र मास
क ी नवमी को रामनवमीके रूप में मनाया जाता है।
भगवान राम ने 14 वर्ष वन में रहकर भारतभर मेंभ्रमण कर
भारतीय आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच
सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया। यही कारण
रहा की भगवान राम का जब रावण से युद्ध हुआ
तो सभी तरहकी अनार्य जातियों ने भगवान राम का साथ दिया।
यह वह काल था जबकि लोगों में किसी भी प्रकार
की जातिवादी सोच नहीं थी। लोग सिर्फ दो तरह की सोच में
ही बँटे थे- यक्ष और रक्ष जिसे सूरऔर असुर या देव और
दानव कहा जाता था।
वनवास के दौरान लक्ष्मण ने रावण की बहिन सूर्पणखा की नाक
काट दी थी। सीता स्वयंवर मेंअपनी हार और
सूरपर्णखा की नाक काटने का बदला लेने के लिए रावण ने
सीता का हरण कर लिया। वनवास के दौरान ही राम को सीता से
दो पुत्र प्राप्त हुए- लव और कुश। एक शोधानुसार लव और
कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत युद्ध में
कोरवों की ओर से लड़े थे।
राम ने सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए संपाति,
हनुमान, सुग्रीव, विभिषण, मैन्द, द्विविद, जाम्बवंत, नल, नील,
तार, अंगद, धूम्र, सुषेण, केसरी, गज, पनस, विनत, रम्भ, शरभ,
महाबलीकम्पन (गवाक्ष), दधिमुख, गवय और गन्धमादन
आदि की सहायता से सेतु बनाया और लंका पर चढ़ाई कर दी।
लंका में घोर युद्ध हुआ और पराक्रमी रावणका वध हो गया। तब
पुष्पक विमान द्वारा रावण सीता सहित पुन: अयोध्या आ गए।
।। जय श्री राम ।
Peersingh Rajpurohit
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