खेतेश्वर फिर से आ जाओ

" खेतेश्वर फिर से आ जाओ ..."

रुढियो से समाज  धीरा हे ' निवारण तुम कर जाओ '
हर बन्धु कहे समाज का ' खेतेश्वर फिर से आ जाओ !
समाज के लिए त्याग एवं बलिदान नही हे पहले जेसा '
श्री राम - क्रष्णा की पुण्य भूमि पर हावी हो गया पैसा !
अपने सद्व्वसनो से ' फिर से अलख आप जगा जाओ '
हर बन्धु कहे समाज का ' खेतेश्वर फिर से आ जाओ !
अब चन्दा - चिट्टी हम करते हें '
निजी स्वार्थो के खातिर '
भूखों और गरीबों की सेवा भी नाम कमाने के खातिर !
समाज सेवा का हम सबकों.
  -- देवीसिंह हियादेसर --

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