गायत्री मंत्र का महत्व



हरिद्वार के तत्वावधान में बुधवार
को प्रज्ञा पुराण कथा शुरू हुई। कथा में
हरिद्वार से आए विद्वानों ने
बताया कि कर्मफल
परमात्मा का अकाट्य सिद्धांत है।
जैसा कर्म करोगे वैसा फल
भोगना पड़ता है। मनुष्य को अपना कर्म
सोच समझकर करना चाहिए। कथा से
पूर्व मुख्य मार्ग से कलश
यात्रा निकाली गई जो होली चौक
पहुंची। विद्वानों ने गायत्री महामंत्र
का अर्थ एवं 24
अक्षरों की जानकारी देते हुए
उसका महत्व बताया। प्रज्ञा पुराण
कथा भगवान नारायण एवं नारद के
संवाद की जानकारी देते हुए
कहा कि यह संवाद मनुष्य मात्र
को जीवन में बहुउपयोगी सीख देता है।
वर्तमान में अधर्म व अनाचार बढ़ा है
इसके सुधार के लिए गायत्री परिवार
जन-जन तक आध्यात्मिक ज्ञान
पहुंचाएगा। कथा के दौरान विद्वानों ने
कहा कि भ्रूण हत्या महापाप है।
परिवार में बेटी और बहु को समान
दर्जा देने की बात कही।

परोपकारी मनुष्य की जानकारी देते हुए
कहा कि दूसरों के हित में जीने व मरने
वाले का कर्म ही भगवत गीता व
रामायण हैं। प्रज्ञा पुराण
कथा आगामी चार दिनों तक दोपहर एक
से पांच बजे तक चलेगी तथा सुबह 8:30 बजे
विश्व शांति के लिए नवकुंडीय यज्ञ
किया जाएगा। बंशीधर गीगल ने
अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
भास्कर न्यूज http://www.bhaskar.com/

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