बाबा रामदेव जी

बाबा रामदेव जी का जन्म संवत् १४०९ में भाद्र मास की दूज को राजा अजमल जी के घर हुआ। इनकी माता का नाम मेनादे था | इनके जन्म के समय अनेक चमत्कार हुवे जेसे - उस समय सभी मंदिरों में घंटियां बजने लगीं , तेज प्रकाश से सारा नगर जगमगाने लगा। महल में जितना भी पानी था वह दूध में बदल गया , महल के मुख्य द्वार से लेकर पालने तक कुम कुम के पैरों के पदचिन्ह बन गए , महल के मंदिर में रखा संख स्वत : बज उठा। इन्होने अपना निवास पोकरण के पास रुनिचा गाव में बनाया | बाल्यकाल में बाबा रामदेव ने भेरव नमक राक्षस का वध कर पोकरण को इसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई | रामदेवरा में रामदेवजी का समाधि स्थल पर विशाल मंदिर बना हे , जन्हा भाद्रपद सुकला द्वितीय से एकादसी तक विशाल मेले का आयोजन होता हे | रामदेवजी को रामसा पीर भी कहते हे | छोटा रामदेवरा गुजरात में हे रामदेवजी ने कामडिया पन्त प्रारंभ किया | रामदेव जी मेघवाल जाती की डाली बायीं को अपने बहिन बना कर समाज के सामने एक आदर्श स्थापित किया | रामदेवजी के मंदिर को देवरा कहा जाता हे | जिन पर श्वेत या पांच रंगों के ध्वजा फहरायी जाती हे | बाबा रामदेव भगवन द्वारकानाथ के अवतार माने जाते हे |

म्हारो हेलो सुनो रामा पीर...
 आजकल राजस्थान के टीलों में चारों और बाबा रामदेव जी के जयकारे गूँज रहे है.बाबा रामदेव जी को लोकदेवता माना जाता है जिनकी पूजा हिंदू और मुसलमान समान भाव से करते है!हिंदू जहाँ इन्हे देवता मानते है वहीँ मुसलमान इन्हे पीर बाबा के नाम से जानते है! हर तरफ़ पैदल यात्रियों के .जत्थे जयकारे लगाते रामदेवरा की और बढ़ रहे है,वहीँ रस्ते में जगह जगह सेवा दल उनकी खाने पीने के लिए मनुहार कर रहे है..!किसी ने सेवा शिविर में खाने का इंतजाम किया है तो कोई पैदल यात्रियों के घावों पर मलहम लगा रहा है और पैर भी दबा रहा है!हर तरफ़ आस्था का सैलाब दिखता है!रास्ता बहुत कठिन है क्यूंकि इस बार अकाल पड़ गया है,वर्षा भी नहीं हुई..लेकिन आस्था के आगे .कुछ भी नहीं है!पैदल यात्रियों में युवाओं के साथ साथ वृद्ध और बच्चे भी है जो राजस्थान की तेज़ गर्मी की परवाह करे .करे बिना चलते जा रहे है..! कुछ लोग बरसों से संघ बना कर पैदल जा रहे है!मैं ये देख कर हैरान हूँ की ये संघ पंजाब ,हरयाणा और हिमाचल के दूरवर्ती कस्बों से आए है..!अपने संघ और बाबा रामदेव का झंडा लिए हुए इनका उत्साह देखते ही बनता है..!बीकानेर से जैसलमेर जाने वाले पूरे रास्ते पर ये आम दृश्य है..!कुछ यात्री तो महीने भर .पहले ही घरों से चल पड़े थे जो भादवे की दशम [३० अगस्त] को बाबा के दर्शन करेंगे..!उधर रामदेवरा मन्दिर जो कि जैसलमेर के पास स्थित है ,में ७ किलोमीटर लम्बी लाइन लग गई है!फ़िर भी सभी पैदल यात्री दशम से पहले वहां पहुँच जाना चाहते है!यात्रा के दौरान वे ज़मीन पर ही सोयेंगे...और टीलों में बिच्छुओं और अन्य जीवों की कोई कमी नहीं है!लेकिन फ़िर भी बाबा की आस्था सब पर भारी है..और ज़ोर से नारे लगाते लोगों को किसी की भी परवाह नहीं है..! जो लोग पैदल नहीं जा पाए ,वे रास्ते में शिविर लगा कर उनकी सेवा करते हुए उत्साह वर्धन कर रहे है...!जगह जगह यात्रिओं के लिए नहाने,खाने और ठहरने की व्यवस्था की गई है !बीकानेर जैसलमेर हाइवे पर फ़िर भी यात्रिओं की अटूट लाइन चल रही है!.आख़िर वो कोई तो शक्ति है जो सब को रामदेवरा की और खींचे ले जा रही है....कोई यात्री यात्रा बीच में नहीं छोड़ता! ये आस्था है या चमत्कार.....सोचनीय बात है..

peersingh rajpurohit
 

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