विश्व शांति गायत्री महायज्ञ

विश्व शांति गायत्री महायज्ञ
विश्व शांति गायत्री महायज्ञ प्रारंभ
ब्रह्मा मंदिर ब्रह्मधाम

आसोतरा में सोमवार को विधि विधान से तीन
दिवसीय गायत्री महायज्ञ प्रारंभ हुआ।
ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार पर गादीपति ने यज्ञ में
आहुतियां देकर विश्व कल्याण की कामना की।
आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मलित हुए।
तीर्थ पर मेले सा माहौल नजर आया।
ब्रह्मधाम तीर्थआसोतरा पर सोमवार सुबह तीन
दिवसीय विश्व शांति गायत्री महायज्ञ प्रारंभ
हुआ। तीर्थगादीपति तुलसाराम महाराज ने
दसविधि स्नान कर यज्ञशाला में प्रवेश किया।
ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार पर प्रधान यजमान के रूप में
यज्ञ वेदिका पर बैठकर गणपति व षोडशमात्र
का पूजन किया।
इसके बाद आचार्यव ब्राह्मणों का वरण बंधन
किया।इसके बाद अरणी मंथन से अग्नि प्रज्ज्वलित
कर यज्ञ में विराजित की।
इसके बाद वेदपीठ
नवग्रह, सर्वोत्तम, योगिनी, क्षेत्रपाल वास्तु पूजन
किया। आचार्य व एकादश ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार
पर यज्ञ में आहुतियां देकर विश्व कल्याण
की कामना की। 12 बजे तक चले इस यज्ञ में
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भी यज्ञ मे
आहुतियां देकर विश्व कल्याण की कामना की।
आरती उतारकर परिवार में सुख
समृद्धि की कामना की। यज्ञ पुरूष भगवान के
जयकारे लगाते हुए मंडप की परिक्रमा लगाई। बुधवार
तक यह यज्ञ सुबह 9 से 12 बजे व दोपहर 3 से
शाम 6 बजे तक होगा। इस दिन सांयकाल में यज्ञ
की पुर्णाहूति होगी। तीर्थ ट्रस्ट महामंत्री भंवरसिंह
कनाना ने बताया कि 18 सितम्बर को तीर्थ पर
आयोजित कार्यक्रम में वेदांताचार्य ध्यानाराम
महाराज व अखाराम महाराज अनंत चतुर्दशी पर्व
का उद्यापन करेंगे। दोपहर 2 बजे अनंत
चतुर्दशी व्रत की कथा होगी। इस दिन श्रद्धालु
तीर्थ गादीपति का 61वां जन्म दिवस समारोहपूर्वक
मनाएंगे।

भागवत कथा का आयोजन
तीर्थ पर सोमवार को श्रीमद् भागवत कथा का वाचन
करते हुए वेदांताचार्य ध्यानाराम महाराज ने
कहा कि राजा भरत ने धर्म से निरत होकर
प्रजा का पालन किया। उनके विशुद्ध अंतकरण व
धर्म समत राज्य करने के कारण ही इस खंड
का नाम भारत वर्ष पड़ा। भारत वह भूमि हैं,
जहां देवता भी जन्म लेना अपना सौभाग्य मानते हैं।
जहां भगवान की अमृतमयी कथा होती है,
वहां किसी प्रकार का दु:ख, कष्ट नहीं होता है।
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